परिजनों का आरोप है कि एक पाँच साल पुराने मामले में पूछताछ के बहाने एएसआई और कांस्टेबल बिना महिला पुलिस के पीड़िता को थाने में रखे और कथित रूप से उसके साथ दुर्व्यवहार किया।
राजस्थान। आदिवासी बहुल इलाकों में आदिवासियों पर अत्याचार की दास्तां नई नहीं हैं। हर रोज कोई न कोई अत्याचार का शिकार हो रहा है, पर इस बार कानून के रखवालों ने ही कुछ ऐसा कर दिया जिससे पूरी कानून व्यवस्था शर्मसार को सकती है।
क्या है पूरा मामला
घटना उदयपुर कोटड़ा तहसील के झेर गांव की है। जहां डेया चौकी कांस्टेबल ने महिला के साथ कथित रूप से जबरदस्ती करने की कोशिश की। महिला के चिल्लाने पर बीच-बचाव करने आए पिता को भी पीटा गया है।
इस पूरी घटना पर द मूकनायक संवाददाता ने पीड़ित महिला के परिवार से संपर्क किया। पीड़िता के चाचा गुलाब भगोरा ने बताया, “23 दिसंबर गुरुवार सुबह 11 बजे डेया चौकी से कांस्टेबल जितेंद्र और एएसआई राजकुमार स्कॉर्पियो लेकर आए। वो मेरी भाई और भाभी को जबरदस्ती बिठा कर विसनगर (गुजरात) ले गए। वहां से उनकी लड़की कोमल (बदला हुआ नाम) को पूछताछ के बहाने रात में साथ लेकर डेया चौकी आ गए। रात में मां बाप को अलग कमरे में सुलाया और कोमल को कांस्टेबल ने अपने कमरे में सोने को बोला।”
उन्होंने आगे बताय, “जब कोमल अपने दो बच्चों को लेकर कमरे में गई तो कांस्टेबल जितेंद्र सिंह उसके साथ अश्लील हरकतें करने लगा। जब उसने इसका विरोध किया तो उसे चांटे मारने लगा। इस बीच वह चिल्लाई तो आवाज सुनकर उसके मां बाप भी उसके कमरे में आ गए। इस पर जितेंद्र सिंह भड़क गया और उसके पिता के साथ मारपीट करने लगा। उसने धमकी दी कि इस बारे में किसी से कुछ कहा तो तेरे मां बाप को जिंदगी भर जेल में सड़ा दुंगा।”
झाड़ू-पोछा करवाया और खाना बनवाया
द मूकनायक की टीम को पीड़िता के परिवार वालों ने बताया कि, “अगली सुबह कोमल से कांस्टेबल जितेंद्र सिंह ने पूरी चौकी का झाडू-पोछा करवाने के बाद फिर खाना बनवाया और जूठे बर्तन धुलवाए। फिर वापस स्कॉर्पियो में तीनों को लेकर विसनगर पहुंच गए। लापता युवती का पता बताने के लिए रास्ते भर गाली-गलौज की गई। इस बीच भी कांस्टेबल जितेंद्र गंदी हरकतें करता रहा।”
शुक्रवार शाम गांव के लोगों को घटनाक्रम का पता चला तो उन्होंने एएसआई व कांस्टेबल से फोन पर संपर्क किया। इससे घबराए दोनों पुलिसकर्मी महिला व उसके पिता को मारपीट कर आधी रात विसनगर में छोड़कर भाग गए। थाने में दी गई यातनाओं के बीच महिला की बेटी को भी चोट आई, लेकिन पुलिसकर्मियों का दिल नहीं पसीजा।
सबसे आश्चर्य करने वाली बात यह है कि, मामले में पुलिसकर्मी बिना किसी वारंट और महिला कांस्टेबल के दो दिन तक स्कार्पियो में महिला और उसके माता पिता को लेकर घूमते रहे।
पांच साल पुराने मामले को लेकर घर से उठाया
परिवार वालों ने बताया कि पुराने मामले में कोमल को पुलिस ने उठाया था। दरअसल, चार माह पूर्व झेर निवासी राम सिंह डामोर ने पानरवा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उस रिपोर्ट में बताया गया था कि उसकी 26 वर्षीय बहन भावना पांच वर्ष पूर्व जीजा कमजी खराड़ी निवासी खारीवेरी (विसनगर) के साथ गई थी। उसके साथ दिनेश, जयंती और हाजी कुमारी भी थे। कुछ दिन बाद जीजा से बहन के बारे में पूछा तो उसने जानकारी होने से इनकार कर दिया। तब से भावना लापता है। इसी साल जुलाई में विसनगर गई गांव की महिला ने उसे वहां देखा था। इस मामले में भावना के परिजनों ने कोमल पर भावना को बेचने का आरोप लगाया।
थाना प्रभारी और डेया चौकी स्टॉफ पर लगाया मिलीभगत का आरोप
पूरे घटनाक्रम को लेकर पीड़ित परिवार ने चौकी स्टॉफ और पनरवा थाना प्रभारी पर जानकारी होकर भी गुमराह करने का आरोप लगाया है।
डीएसपी पर लगाया रिपोर्ट बदलने का आरोप
पीड़िता कोमल ने थानाप्रभारी, एएसआई और कांस्टेबल के खिलाफ रिपोर्ट की थी, जिस पर पुलिसकर्मी आनाकानी करने लगे। फिर कोटडा डीएसपी पहुंचे। उन्होंने दूसरी रिपोर्ट देने को कहा। इस पर सभी आक्रोशित होकर थाने से निकलने लगे। फिर जब एसपी से शिकायत की चेतावनी दी तो रिपोर्ट दर्ज की गई।
विधायक के हस्तक्षेप के बाद रिपोर्ट दर्ज
विधायक बाबूलाल खराड़ी द मूकनायक से बताते हैं कि, “एक आदिवासी महिला के साथ इस तरह से ज्यादती करना वो भी पुलिसकर्मियों द्वारा बहुत बड़ा अपराध है। उससे भी ज्यादा गंभीर व शर्मनाक बात ये है कि जब पीड़िता के साथ हम लोग थाने पहुँचे तो थानाप्रभारी मामला दर्ज करने के लिए भी तैयार नहीं थे। डीएसपी भी थाने में पहुँच रिपोर्ट बदलने का दबाव डालते रहे फिर हम लोग थाने से एसपी के पास जाने के लिए निकल गए तो लोगों को होश आया। हमें दोबारा बुलवाकर पानरवा थानेदार, एएसआई व कांस्टेबल के खिलाफ मामला दर्ज किया और पीड़िता का मेडिकल करवाने के लिए भेजा। गरीब आदिवासी महिलाओं की अस्मत पर पुलिसवाले ही हाथ डाल रहे हैं।”
फिलहाल, इस पूरे मामले में जांच जारी है। कोमल के परिजन मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्यवाही के लिए न्याय की आस लगाए बैठे हैं।